GNSS को लागू करने के लिए expression of interest आमंत्रित किए गए थे। इन आवेदनों के आधार पर अब उन्हें request for tender जारी किए जा रहे हैं।
Highway expert के अनुसार, GNSS लागू होने के बाद जैसे ही गाड़ी हाईवे पर पहुंचेगी, उसका entry point ही toll gate होगा। Highway को छूने के साथ ही मीटर चालू हो जाएगा। स्थानीय लोगों को टोल गेट से 20 किमी जाने की छूट है। 21वें किलोमीटर से Toll counting शुरू हो जाएगी।
हर टोल पर कुछ lane GNSS dedicated होंगी, ताकि उस lane में केवल GNSS वाली गाड़ियां निकलें।
नये System के लिए सभी गाड़ियों में GNSS onboard unit होनी जरूरी है। यह फिलहाल उन्हीं नई गाड़ियों में उपलब्ध है, जिनमें emergency help के लिए panic बटन है। बाकी सभी गाड़ियों में यह system लगवाना होगा।
Fastag की तरह On-Board Unit(OBU ) भी सरकारी पोर्टल के जरिये उपलब्ध होंगी। उन्हें वाहनों पर लगाया जाएगा। टोल इससे लिंक बैंक खाते से कट जाएगा।
एक बार जब सभी गाड़ियों में GNSS unit लग जाएगी और सभी lane GNSS के लिए होंगे तो सड़कों से सभी टोल बूथ पूरी तरह से हट जाएंगे।
NHAI को सालाना करीब 40,000 करोड़ रु टोल राजस्व मिलता है। नई प्रणाली पूरी तरह लागू होने के बाद इसके बढ़कर 1.4 लाख करोड़ रुपए होने की उम्मीद है।
GNSS को लागू करने के लिए expression of interest आमंत्रित किए गए थे। इन आवेदनों के आधार पर अब उन्हें request for tender जारी किए जा रहे हैं।
कार/ट्रक में OBU लगवाने का खर्च करीब 4,000 रु. है, जो वाहन मालिक को भुगतान करना होगा।